सर्वस्व बलिदानी गुरु गोबिंद सिंह जी राष्ट्रनायक थे-धस्माना

प्रेमनगर (देहरादून)। सिख पंथ के दसवें व आखिरी देहधारी गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह केवल सिखों के गुरु नहीं थे बल्कि वे भारत के वास्तविक राष्ट्रनायक थे जिन्होंने देश व कौम के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। यह विचार आज यहां गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश उत्सव के अवसर पर गुरुद्वारा प्रेमनगर में सजे दीवान में संगतों को गुरु पर्व की बधाई ज्ञापित करते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पिता नवें गुरु तेग बहादुर को बलिदान के लिए प्रेरित किया व जब उन्होंने दसवें गुरु के रूप में गद्दी संभाली तो उन्होंने देश व कौम की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की व सिख धर्म में देहधारी गुरु की परंपरा को समाप्त कर गुरु गद्दी पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित कर सब सिखों को ये हुकुम दिया कि वे उनके बाद किसी देहधारी को नहीं बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब को ही अपना गुरु मानेंगे। श्री धस्माना ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने देश व कौम की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों को भी कुर्बान कर दिया लेकिन उफ नहीं किया। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को ये सख्त निर्देश दिए कि कोई भी उनको परमेश्वर न कहे ।



इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान टोनी सेठी, डॉक्टर मनमोहन सिंह, सरदार अमरजीत सिंह, सुमित खन्ना, सरदार कुलविंदर सिंह, महेश जोशी भी उपस्थित रहे।